आइ. सी. यू. में घुसते ही बायें हाथ पर एक नोटिस बोर्ड था। वैसे तो उस बोर्ड पर आइ. सी. यू. के पेशेंट्स के नाम, उनके डाक्टर के नाम आदि लिखे रहते थे पर कभी कभी वहाँ ड्यूटी पर बैठा डाक्टर किसी किताब में से, जिसे वो खाली समय में पढ़ता था, चंद लाईने जो उसे पसंद आतीं, मार्कर से लिस्ट के पास ही लिख देता था। मेरा दिन में बहुत बार आइ। सी. यू. में जाना होता था क्योंकि मम्मी वहाँ 214 नम्बर में एडमिट थीं। उनकी हालत बिगड़ती ही जा रही थी, आइ. सी. यू. में आने पर वो वेन्टीलेटर पर ही रहीं। जहाँ बाहर जूते उतारते थे उसके और नोटिस बोर्ड के बीच एक काँच का दरवाज़ा था तो जूते उतारते और पहनते समय नोटिस बोर्ड पर नज़र पड़ ही जाती थी। इस तरह किश्तों में वहाँ लिखा आँखों से फिर जाता था। उस दिन वहाँ रविन्द्र नाथ टैगोर की लिखी कविता की कुछ लाईनें नज़र आईं,
मेरा कार्य संभालेगा अब कौन
लगे पूछने साहब रवि
सुनकर सब जग रहा निरुत्तर मौन
ज्यों कोई निश्चल छवि
माटी का था दीपक एक
बोला यूँ झुककर-
- अपनी क्षमता भर प्रयास करूँगा प्रभुवर-
मम्मी उस रात को हम सभी को छोड़ गईं।
कुछ दिनों पहले किसी बैग से उसी अस्पताल की एक परची झांकती हुई दिखी, निकाला तो उसके पीछे वही लाईनें, ...एक बार फिर नज़र से फिर गईं, जिसे मेरे पति ने तब नोट कर लिया था। पढ़ कर सब याद आ गया। माँ की याद एक रिक्तता दे जाती है पर मैं अपने आप को माटी का दीपक समझने लगी हूँ...अपनी क्षमता भर प्रयास करने का वचन जो लिया है अब।
6 comments:
रविन्द्र नाथ टैगोर की कविता प्रेरणादायक होती है...सही है आपका लेखन इस कविता के साथ जो आपको ऊर्जावान बना रहा है
सुनीता(शानू)
अर्बुदा का मतलब क्या होता है?
अर्बुदा का शाब्दिक अर्थ अखण्ड शक्ति होता है। माउण्ट आबू में अर्बुदा देवी का बहुत प्राचीन मंदिर है। गुजरात व दक्षिणी,पश्चिमी राजस्थान में अर्बुदा देवी की बड़ी मान्यता है।
माँ की याद एक रिक्तता दे जाती है पर मैं अपने आप को माटी का दीपक समझने लगी हूँ...अपनी क्षमता भर प्रयास करने का वचन जो लिया है अब।
--बहुत अच्छा लगा यह पढ़कर. रविन्द्र नाथ जी कविता पढ़ने के लिये,इसी तरह सार्थक उपयोग के लिये है.
रविन्द्र नाथ टेगोर जी की पंक्तिया बहुत ही सुन्दर है और उनको अपने जीवन में उतार कर अपने उन पंक्तियों को जीवित कर दिया ........अति उतम
गुरूदेव की कविता को आप जी रहीं हैं,
ह्रदय को छू गया
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