मेरे हैं सिर्फ पंख...
...और सामने खुला आकाश...
Sunday, February 03, 2008
हाईकु (त्रिपदम)
(1)
ढलती साँझ
नीड़ की तलाश में
भटके पंछी।
(2)
नदी का पानी
कल कल
झरना
बहते हैं ना.
(3)
रुई के फाहे
बादलों पर छाए
वृक्ष नहाए.
(4)
भोर औ सांझ
करवट बदले
जीवन यही.
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