Thursday, July 20, 2006

तुम्हारा आना

आकर पास बैठ जाना ,

क्योंकि बात करने की

तुम्हें आदत नहीं ।

पर तुम्हारा

मेरी बातों पर ,

हंस देना ,

दिन भर की थकावट को देख

मुस्कुरा देना ,

और आंखों से ही दर्द पर

मरहम लगा देना ।

तुम्हारी इन छोटी छोटी

शांत हरकतों पर

मुझे अक्सर प्यार आजाता है ।

मेरे गुस्से को तुम्हारा

स्नेह मिल जाता है ।

और हमेशा ही

तुम्हारा मौन

मुझसे जीत जाता है ।
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